गरीब की ज़िंदगी मे चमत्कार नहीं होते न कोई जादुई चिराग मिलता है न परियां ही आती हैं

 गरीब की ज़िंदगी मे चमत्कार नहीं होते न कोई जादुई चिराग मिलता है न परियां ही आती हैं

गरीब की ज़िंदगी मे चमत्कार नहीं होते न कोई जादुई चिराग मिलता है न परियां ही आती हैं

यही था इनका गोदान हीरा बोला दद्दा नही रहे

उपन्यास सम्राट प्रेमचंद को कौन नहीं जानता उनके उपन्यास गोदान का लोहा पिघल कर हर हिन्दुस्तानी के लहू में दौड़ता है। गोदान के अंतिम वरिष्ठ पर उपन्यास के नायक होरी की पत्नी यंत्र की तरह उठती है और समाज के ठेकेदारों को देने होरी की हत्थेली पर चंद सिक्के रखकर कहती है यही था इनका गोदान। आज आईपीएस आईएएस बनने वाले हर अधिकारी को यह मालूम है कहीं साक्षात्कार में गोदान या साराआकाश या फिर कितने पाकिस्तान जैसे उपन्यासों से कोई प्रश्न न कर लिया जाए। सागर में दिन दहाड़े दोपहर के वक़्त मानो गोदान चरितार्थ हो उठा। एक गरीब की ज़िंदगी में कोई चमत्कार नहीं होता। एक रेडी वाले की आखरी सांस भी निकली तो फुटपाथ ही उसका स्वर्ग था। ज़िन्दगी की गाड़ी चलाने का साज़ोसामान सामने करीने से जमा रह गया और प्राणपखेरू उड़ गए। चलनी, बेलन, लकड़ी का पटा, हथौड़ा सब कुछ वहीं रह गया। मानो बार बार अपने मालिक को जगाने उसकी तरफ देख रहे थे। देखो मालिक भीड़ जुट गई है हम सब खरीदे जाएंगे उन बेजुबानों को क्या पता था कि ये भीड़ उनके मालिक की मौत पर जुटी है। तमाशबीन और ग्राहकों के बीच का अंतर जिस्म में साँसे होने और खाली होने का है। चंदन लाल की धड़कने रुक गईं उसकी मौत कटरा बाजार में रोज़मर्रा की तरह दुकान लगाते हुए शाम के वक़्त होगयी। चन्दनलाल पिता कुदउ लाल राय उम्र 65 साल निवासी तुलसीनगर केंट थाना इस दुनिया से चल गया। प्रथम दृष्टया उसकी मौत हृदय गति रुकने से समझ आयी कल पोस्टमार्टम रिपोर्ट आएगी अभी शरीर मरचुरी में है। जय स्तंभ के पास दोपहर के वक़्त उसकी मौत हुई। मृतक के बेटे श्रीराम राय ने पुलिस को बताया कि उसके पिता रोज की तरह अपना कुछ सामान बेचकर रोटी कमाने घर से निकले थे।

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