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रेखा के बेजोड़ अभिनय पर लगा उनकी खूबसूरती और अमिताभ नाम का ग्रहण
रेखा और अमिताभ के अफेयर की खबरों से अमिताभ को तो फर्क नहीं पड़ा लेकिन रेखा बतौर कलाकार भुलाई गईं
Dilip Kumar kapse, फ़िल्म समीक्षक
मैंने रेखाजी का बहुत ज़्यादा काम नहीं देखा। बचपन में जितना टीवी पर देखा होगा बस उतना ही कुछ और बाद में नए दौर की कुछ और फ़िल्मों में। फिर भी मैं उन्हें बेहद प्रेम करता हूँ और नूतनजी के बाद वो मेरी सर्वाधिक प्रिय अभिनेत्री हैं। निजी तौर पर मेरा ऐसा मानना है कि उनका कॅरियर अगर उनके अपने ही दौर के दो दशक पहले रहा होता, तो उनके पास और भी बड़े कमाल किरदार होते।
अमिताभ के साथ उनके प्रेम के सनसनी भरे किस्सों ने बतौर अभिनेत्री उनकी क़ाबिलियत को कमतर बनाकर रख दिया। उनके एफ़र्टलेस अभिनय की शायद ही कहीं चर्चा होती है, जबकि उन्होंने बड़े मुश्किल किरदार बड़ी सहजता से निभा दिए हैं। जिस दौर में भारतीय सिनेमा नाटकीयता की चाशनी से लिथड़ा हुआ था, तब भी वो अपने अभिनय में अतिरेक लाने से बचती रहीं।
फ़िल्म “घर” में जो रेप सीन है, उसमें उनका अभिनय इस क़दर असल लगता है कि जिस्म में झुरझुरी आ जाती है।मैंने कभी उस दृश्य को दोबारा से देखने की कोशिश नहीं की। उस दृश्य विशेष में उनकी चीखें दर्शकों को बेबसी से भर देती हैं। सुना था कि ख़ुद रेखा इस सीन के बाद सदमे में चली गयी थीं। इसके बहुत बाद राजकुमार संतोषी की फ़िल्म “लज्जा” में भी उन्होंने एक रेप सीन किया था। इस फ़िल्म में उन्होनें एक ऐसी उम्रदराज़ महिला की भूमिका निभाई थी, जिसका सामूहिक बलात्कार किया जाता है। इस दृश्य में वो अपने बलात्कारियों में शामिल एक युवक के सामने गिड़गिड़ाते हुए उसे ये याद दिलाती हैं कि उसे जन्म देने वाली दाई वो ख़ुद हैं, वो भला कैसे उसके साथ ऐसा कर सकता है। यहाँ पर किरदार की बेचारगी उनके चेहरे पर पढ़ी जा सकती है।
“ख़ूबसूरती” में उनका खिलंदड़पन हो या “उमराव जान” में दर्शकों पर पड़ी उनकी अदाओं की बौछार, अभिनय की रेंज आला दर्जे की रही है उनके पास। “सिलसिला” पहले उनकी फ़िल्म है, उनके बाद में अमिताभ या जया बच्चन की। इस फ़िल्म में अपने होंठों और आँखों का इस्तेमाल उन्होंने जिस तरह किया है वो आज भी इसे देखने लायक बनाता है। “उत्सव” और “आस्था” जैसी फ़िल्में अभिनेत्री के तौर पर उनकी हिम्मत सामने रखती हैं।
उनकी फिल्मों के बोल्ड दृश्यों को गौर से देखें, तो उनके बिखरे हुए केश ही दर्शकों को उत्तेजित करने की क्षमता रखते हैं, उन्हें इससे ज़्यादा कुछ करने की ज़रूरत नहीं रह जाती।
उनकी ख़ूबसूरती बेमिसाल है और आवाज़ का सही उतार चढ़ाव उनके संवादों में जान डाल देता है। कानों में पड़ती उनकी आवाज़ कभी अंदर तक गुदगुदी देती है, तो कभी एक सरसराहट पैदा करती है। अपने ऊपर फ़िल्माये गानों पर उनका लिप सिंक इतना परफ़ेक्ट होता है कि यकीन नहीं होता कि कोई और उनके लिए गा रहा है।
अक़्सर रेखा की निजी ज़िंदगी को रहस्य से जोड़ा जाता है, जबकि वो अपने बारे में जितना खुलकर बोलती रहीं हैं, उतना कम ही लोग बोलते हैं। उन्होंने समय समय पर बड़े बोल्ड बयान और इंटरव्यू दिए हैं। उम्र के साथ उन्होंने एक गरिमा ज़रूर ओढ़ ली।