सागर के किस अंग्रेजी लेखक की किताब पर बन सकती है हॉलीवुड में फ़िल्म
माता के दरबार में भक्तों के सामने राक्षस पर झपटा शेर घसीटकर माता के सामने किया संहार
शेर नृत्य बुंदेलखंड की एक परंपरा
सागर। नवरात्रि में मां दुर्गा के समक्ष शेर नृत्य की परंपरा बुंदेलखंड में अति प्राचीन है। शेर नृत्य करने वाले परंपरागत कलाकार पीढ़ी दर पीढ़ी इसे संजोए हुए हैं। वर्तमान में यह कहीं कहीं ही देखने को मिलती है। इस नृत्य के माध्यम से कलाकार शेर की वेशभूषा बनाते हैं और माता को प्रसन्न करने राक्षसों का वध करके उन्हें प्रणाम करते हैं। सागर में अष्टमी के दिन बंगाली काली मंदिर में झांकी के समक्ष नई पीढ़ी के युवाओं ने शेर नृत्य किया, अपने शरीर पर बढ़ वाली धारियां मुखोटे और पूंछ लगाकर शेर जैसी हरकतें कर देखने वालों में रोमांच भर दिया। इसी दौरान राकेश का वध कर नृत्य के दौरान ही उसे माता के समक्ष घसीट कर ले जाया गया। जिसके बाद माता के जयकारे गूंज उठे। ये सभी कलाकार शहर की हर झांकी में जाकर कला के माध्यम से माता का पूजन और उनका महिमामंडन करते हैं। शेर नृत्य बुंदेलखंड में आस्था का प्रतीक भी माना जाता है।