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सागर को मिली फिरसे त्रिशूल की शक्ति, 81 दिन बाद फिर मंत्री बने गोविंद सिंह
सागर को मिली फिरसे त्रिशूल की शक्ति
81 दिन बाद फिर मंत्री बने गोविंद सिंह
सागर। नए साल में हुए पहले मंत्री मंडल विस्तार समारोह के बाद सागर जिले को तीन मंत्रियों वाली पॉवर वापस मिली है। इस त्रिशूल की शक्ति के एक बार फिर मिलने से सागर के चहुमुखी विकास की दृष्टि से इस साल को विशेष मना जा रहा है। इसी के चलते जिले एवं उनके विधानसभा क्षेत्र में उत्सव का माहौल है।
मध्यप्रदेश में सियासी उठापटक और 2020 के घमासान में सत्ता परिवर्तन के बीच 2021 में एक बार फिर 81 दिनों के बाद गोविंद सिंह राजपूत मंत्री बनाये गए हैं। केबिनेट विस्तार के बाद मध्यप्रदेश सरकार के इतिहास में दूसरी बार यह पहला मौका ही कहा जायेगा जब किसी जिले से तीन मंत्री प्रदेश सरकार में हों।
रविवार को शिवराज केबिनेट में तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत ने मंत्री पद की शपथ ली है। मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने सागर जिले की सुरखी विधानसभा से रिकॉर्ड जीत दर्ज की थी।
● त्रिशूल से उम्मीदें
नए साल में सागर जिले को तीन मंत्रियों का त्रिशूल पावर मिला है। अब यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा की यह ट्रिपल इंपैक्ट सागर की सूरत बदलने में कितना कारगर साबित होता है।
● जिले की 8 विधानसभाओं में खुरई और रहली से पहले ही दो कद्दावर नेताओं को मंत्री पद मिला था। जिसमें खुरई विधायक मंत्री भूपेंद्र सिंह के पास नगरीय विकास एवं प्रधानमंत्री आवास विभाग है। वहीं रहली से विधायक गोपाल भार्गव के पास पीडब्ल्यूडी विभाग है। ऐसे में उपचुनाव के चलते 6 महीने मंत्री रहने के बाद अब सुरखी विधानसभा से विधायक गोविंद सिंह राजपूत पूरे 81 दिन, तो चुनाव परिणाम आने के 54 दिन बाद पुनः मंत्री बने हैं। कयास लगाए जा रहे हैं एक बार फिर परिवहन एवं राजस्व विभाग की कमान उनको सौंपी जा सकती है।
नए साल में शपथ ग्रहण समारोह केवल दो मंत्री पद के लिए आयोजित किया गया। वहीं 6 मंत्री पदों में से 4 पर सहमति न बन पाने के कारण आगे भी मंत्रिमंडल विस्तार होगा।
● मध्यप्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के समक्ष शपथ ग्रहण समारोह आयोजित हुआ। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के अलावा बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस मौजूद रहे। कोविड के चलते समारोह में 150 लोगों के सम्मिलित होने की अनुमति रही।
● इन्होंने दिए इस्तीफे
केेेबिनेट विस्तार से पहले इमरती देवी और गिर्राज दंडोतिया का इस्तीफा मंजूर कर लिया गया। दोनों सिंधिया समर्थक मंत्रियों को 28 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। यह बता दें कि 24 नवंबर को इमरती देवी और गिर्राज दंडोतिया ने पद से इस्तीफे दिए थे। परंतु राज्यपाल द्वारा मंजूर न होने के कारण ऐसा किया गया। संविधान के अनुसार पद की शपथ लेने के 6 महीने तक मंत्री रहा जा सकता है। लेकिन सदन का चुनाव हारने के बाद 6 महीने पूरे होने पर नियुक्ति स्वतः ही समाप्त हो जाती है।