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38 साल तक उल्टा दिल लेकर घूम रहे थे पंडित जी।
अमित प्रभु मिश्रा
38 साल तक उल्टा दिल लेकर घूम रहे थे पंडित जी।
कभी बुखार तक नहीं आया की डॉक्टर के पास जाऊं इसलिए पता नहीं चला।
यह हैं पंडित सतीश दुबे जी सागर की सुरखी विधानसभा के अगरिया गांव में रहते हैं और सागर में पंडिताई भी करते हैं। आप सोच रहे होंगे की हम इनकी बात अचानक क्यों कर रहे हैं। तो इनकी बात सामने आई है इनकी अनोखी शारीरिक संरचना के कारण जो विज्ञान के लिए भी चुनौती बनी है। आपने कई फिल्मों में ये डायलॉग तो सुना ही होगा की “दिल हमेशा लेफ्ट में होता है लेकिन राइट होता है” सच भी है क्योंकि सभी का दिल सीने की बाईं तरफ होता है। लेकिन पंडित सतीश दुबे का दिल लेफ्ट साइड नहीं राइट साइड है। लेकिन इसका मतलब ये बिलकुल नहीं है की राइट में होने की वजह से इनका दिल रोंग होगा। इतना ही नहीं इनका लीवर भी आम लोगों से ठीक उलट लेफ्ट साइड में है। 2 साल पहले पता चला था इसके बाद भी अब तक कभी कोई स्वास्थ्य संबंधी दिक्कत पेश नहीं आई।
पथरी नहीं निकली पर खुल गया राज़
यह चमत्कार तब सामने आया जब पंडित जी को सामान्य पेट दर्द हुआ वे चमेली चौक पर स्थित डॉ पारासर के पास पहुंचे। डॉ ने उन्हें पथरी की शंका में सोनोग्राफी की सलाह दी। करीब दो साल पहले हुई इस घटने के बाद से अब मरीज पूरी तरह स्वस्थ है। जब 38 वर्षीय पंडित सतीश दुबे की जांच करायी “तो पथरी तो नहीं निकली पर एक बहुत बड़े राज़ पर से पर्दा उठ गया” वे यह जानकर चकित रह गये कि इस शख्स का दिल बायीं ओर के बजाय दायीं ओर धड़क रहा है। इसके बाद अलग-अलग जांच करायी गयी, तो खुलासा हुआ कि जन्मजात विकृति के कारण दिल के अलावा उसके कुछ अन्य प्रमुख भीतरी अंग भी सामान्य स्थिति की तुलना में उल्टी दिशा में हैं।
लाखों में कितने होते हैं ऐसे।
उल्टा दिल लेकर घूम रहे पंडित जी इसे अपने अच्छे स्वास्थ्य की वजह मान रहे हैं। “लोगों में आम तौर पर लिवर शरीर के दायीं ओर इसी तरह दिल बाईं ओर धड़कता है। इस मामले में हैरानी की बात यह भी रही कि उम्र के 38 साल गुजारने के बावजूद मरीज को इस बात का पता ही नहीं चला। पंडित सतीश दुबे कहते हैं की न तो कभी बुखार आया न कोई परेशानी हुई की डॉक्टर के पास जाऊं। उसके शरीर में प्रमुख अंग सामान्य स्थिति की तुलना में उल्टी तरफ हैं। पेट दर्द न होता तो पता ही न चलता। वह बड़े आराम से अपनी जिंदगी जी रहा था।” अभी भी इनको कोई परेशानी नहीं है। अपनी अंदरूनी शारीरिक संरचना को वे अपने स्वास्थ्य जीवन का कारण भी मानते हैं
“साइटस इन्वर्सस टोटेलिस”
बीएमसी के डॉ मनीष जैन ने बताया की मानवीय शरीर में अंगों की यह अजब-गजब स्थिति एक लाख में से केवल 10 लोगों में पायी जाती है। इस दुर्लभ जन्मजात विकृति को चिकित्सकीय भाषा में “साइटस इन्वर्सस टोटेलिस” कहते हैं।
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