कल चोरी छिपे हटाया जा रहा था देवस्थल, आज किया यथावत स्थापित

 कल चोरी छिपे  हटाया जा रहा था देवस्थल, आज किया यथावत स्थापित

हर मनोकामना को पूरा करने वाला है कल्पवृक्ष

  • इंद्रलोक की तरह सागर में भी हैं पारिजात वृक्ष।
  • गुरुवार रात हुआ था मूर्तियाँ हटाने का प्रयास।
  • 24 घंटे के अंदर स्थापित हुआ धातु का मंदिर। कलेक्टर गठित की जांच टीम 
  • दोषियों पर कार्रवाई की उठ रही मांग।

सागरगुरुवार रात न्यू कलेक्ट्रेट परिसर में 700 साल पुराने कल्पवृक्ष के नीचे स्थित भगवान की  प्रतिमाओं को हटाने की कोशिश के बाद प्रशासन को हिन्दू संगठनों का आक्रोश झेलना पड़ा। जिसके बाद अगले दिन मूर्तियों को यथावत किया गया। वहीं मूर्तियों की सुरक्षा को देखते हुए धातु के मंदिर की स्थापना की गई है। “शनिवार को विधिपूर्व ईश्वर से क्षमा याचना कर पूजन अर्चन किया जाएगा”।

पीढ़ियों से कर रहे पूजन

यहां बता दें की सागर में स्थित न्यू कलेक्टरेट परिसर वह विरला स्थान है जहां दो – दो कल्पवृृृक्ष मौजूद हैं। ये इतने प्राचीन हैं की कई पीढ़ियों से यहां लोग पूजन अर्चन करते आ रहे हैं। इंद्र देेव की सभा को सुशोभित करने वाले ये वृक्ष सागर कलेक्टरेट में स्थित है। एक नहीं बल्कि दो-दो ऐसे पेड़ क्षेत्र के प्राचीन महत्व को बताते हैं। ये पेड़ करीब 700 साल पुराने हैं। न्यू कलेक्टरेट परिसर को बनाते वक़्त भी इन पेड़ों और यहाँ स्थापित मूरतियों को नुकसान न पहुंचे इसका विशेष ध्यान दिया गया। बीती रात गुरुवार को यहां हिन्दू वादी संगठनों को सूचना मिली की कल्पवृक्ष के नीचे सैकड़ों वर्षों से स्थापित देव शिलाओं को नुकसान पहुंचाया जा रहै है। आखिर किसको कष्ट था।

जिसके बाद बड़ी संख्या में हिदु संगठन के लोग वहां एकत्रित हुए।  “प्रश्न उठता है की आखिर जिलाधीश के कार्यालय को अचानक क्यों खटकने लगा”। बहरहाल लोगों की मांग पर स्थल को यथावत रूप से तैयार किया जा रहा है। इस दौरान अजय तिवारी, डॉ अनिल तिवारी, भरत तिवारी, कपिल स्वामी, दीपक दुबे आदि उपस्थित थे।

जांच टीम गठित

श्री दीपक सिंह, कलेक्टर सागर

कलेक्टर दीपक सिंह ने कलेक्ट्रेट परिसर स्थित कल्पवृक्ष के नीचे मंदिर विवाद को लेकर वरिष्ठ अधिकारियों की जांच समिति बना दी है और यह समिति शीघ्र ही जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।

 

सागरमंथन से निकला था पारिजात कल्पवृक्ष

सागर मंथन से मिला कल्पवृक्ष

सनातन धर्म में कल्पवृक्ष यानी पारिजात का कई पुराणों में उल्लेख आया है। कल्पवृक्ष जिसे भागवत महापुराण में भगवान श्री कृष्ण ने अपनी भार्या सत्यभामा के लिए इंद्र देव से घोर युद्ध किया था। पारिजात वृक्ष का वर्णन हरिवंश पुराण में भी आता है। हरिवंश पुराण में इसे कल्पवृक्ष कहा गया है। “जिसकी उतपत्ति समुन्द्र मंथन से हुई थी और जिसे इंद्र ने स्वर्गलोक में स्थपित कर दिया था।” हरिवंश पुराण के अनुसार इसको छूने मात्र से ही देव नर्त्तकी उर्वशी कि थकान मिट जाती थी।

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